करेंट अफेयर्स – 30 अगस्त, 2020

संवैधानिक प्रावधान:

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29, 30, 350A तथा 350B में ‘अल्पसंख्यक’ शब्द का प्रयोग किया गया है लेकिन इसकी परिभाषा कहीं नहीं दी गई है।
  • अनुच्छेद 29 यह उपबंध करता है कि भारत के राज्य क्षेत्र या उसके किसी भाग के निवासी नागरिकों के किसी अनुभाग को अपनी विशेष भाषा, लिपि या संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार होगा।
    • सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, अनुच्छेद-29 के तहत प्रदान किये गए अधिकार अल्पसंख्यक तथा बहुसंख्यक दोनों को प्राप्त है।
  • अनुच्छेद-30 के अनुसार, धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रुचि की शिक्षण संस्थानों की स्थापना और प्रशासन करने का अधिकार प्राप्त होगा।
    • अनुच्छेद-30 के तहत प्रदान किये गए अधिकार केवल अल्पसंख्यकों के लिये हैं, बहुसंख्यकों के लिये नहीं।
  • अनुच्छेद- 350 (A) (प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा) और 350(B) (अल्पसंख्यकों के लिये विशेष अधिकारी) केवल भाषायी अल्पसंख्यकों से संबंधित हैं।

 

आगे की राह:

  • संविधान में ‘अल्पसंख्यक’ शब्द की परिभाषा कहीं नहीं दी गई है। अत: इस संबंध में ‘अल्पसंख्यक’ की स्पष्ट परिभाषा को संविधान या किसी संसदीय कानून में शामिल किया जाना चाहिये।
  • ऐसे राज्य जहाँ राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक के रूप में हो, वहाँ अन्य ‘अल्पसंख्यक पहचान’ को मान्यता प्रदान की जानी चाहिये।

 

निष्कर्ष:

  • एक लोकतांत्रिक, बहुलवादी राजनीति में अल्पसंख्यक अधिकार आवश्यक हैं। अत: राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं अपितु प्रादेशिक स्तर पर भी अल्पसंख्यकों को परिभाषित तथा अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाना चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 

 

जम्मू और कश्मीर के लिये नियमों की अधिसूचना

प्रीलिम्स के लिये: जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019, धारा 370 को निरस्त करने के कारण मेन्स के लिये: जम्मू और कश्मीर से संबंधित नए नियम

 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गृह मंत्रालय (Ministry Of Home Affairs- MHA) ने जम्मू और कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश के लिये व्यापार के लेन-देन के नियमों को अधिसूचित किया है।

प्रमुख बिंदु:

  • इन नियमों को जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 के तहत अधिसूचित किया गया है।

    • अधिनियम की धारा 55 के अनुसार, “उपराज्यपाल (Lieutenant Governor-LG) मंत्रियों को दायित्त्वों के आवंटन के लिये और उपराज्यपाल एवं मंत्रिपरिषद या एक मंत्री के मध्य मतभेद के मामले में व्यापार के अधिक सुविधाजनक लेन देन के लिये मंत्रिपरिषद की सलाह पर नियम बनाएगा।
  • ये नियम जम्मू कश्मीर में कार्य आवंटन, विभागों के मध्य व्यापार का वितरण एवं उनकी शक्तियाँ, उपराज्यपाल की कार्यकारी शक्तियाँ आदि का विवरण प्रदान करते हैं।
  • नियमों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में स्कूली शिक्षा, कृषि, उच्च शिक्षा, बागवानी, चुनाव, सामान्य प्रशासन, गृह, खनन, बिजली, लोक निर्माण विभाग, आदिवासी मामले और परिवहन जैसे 39 विभाग होंगे।
  • पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था, अखिल भारतीय सेवाएँ और भ्रष्टाचार विरोधी कार्य उपराज्यपाल के कार्यकारी कार्यों के अंतर्गत आएंगे।

    • इसका तात्पर्य यह है कि मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद की कार्यप्रणाली में अधिक अंतर नहीं होगा।
  • ऐसे प्रस्ताव या मामले जो केंद्र शासित प्रदेश की शांति और अमन को प्रभावित करते हैं या किसी अल्पसंख्यक समुदाय, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों के हित को प्रभावित करते हैं, उन्हें अनिवार्य रूप से मुख्यमंत्री को सूचित करते हुए मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
  • केंद्र या राज्य सरकार के विवाद से संबंधित कोई भी ऐसा मामला, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश के हस्तक्षेप की आवश्यकता है, उसे जल्द से जल्द, मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया जाएगा।
  • केंद्र से प्राप्त सभी महत्त्वपूर्ण आदेशों/दिशा निर्देशों से संबंधित सूचना को जल्द से जल्द मुख्य सचिव, प्रभारी मंत्री, मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के समक्ष लाया जाएगा।
  • उपराज्यपाल और एक मंत्री के मध्य उत्पन्न मतभेद के मामले में एक माह उपरांत भी कोई समझौता नहीं हो पाने पर, उपराज्यपाल के निर्णय को मंत्रिपरिषद द्वारा स्वीकार कर लिया जाएगा।

 

पृष्ठभूमि:

  • 5 अगस्त 2019 को केंद्र ने संविधान (जम्मू और कश्मीर के लिये आवेदन) आदेश, 2019 के माध्यम से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द कर दिया था।
  • एक अलग विधेयक जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 को दो अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू और कश्मीर (विधायिका के साथ), और लद्दाख (विधायिका के बिना) में विभाजित करने के लिये पेश किया गया था।
  • इस कदम ने कई नागरिक समूहों के साथ विवाद पैदा कर दिया और वे जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली की मांग करने लगे। सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी।
  • इस कदम का लाभ उठाते हुए, पाकिस्तान ने जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, सर क्रीक और जूनागढ़ को शामिल करते हुए अपना एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया।
  • चीन ने भारत के इस कदम को “अवैध और अमान्य” कहा और इस मुद्दे को न्यूयॉर्क (संयुक्त राज्य अमेरिका) में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council- UNSC) में उठाया।
  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित एक विशेष समिति ने जम्मू और कश्मीर में एक परीक्षण के आधार पर 4G इंटरनेट सेवाओं की बहाली की सिफारिश की, जिसे अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद राज्य में हिंसा से बचने के लिये निलंबित कर दिया गया था।

स्रोत: द हिंदू

 

 

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में विनिवेश

प्रिलिम्स के लिये हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, विनिवेश, आरंभिक सार्वजनिक निर्गम मेन्स के लिये सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश की आवश्यकता और महत्त्व

 

चर्चा में क्यों?

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited-HAL) की 15 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव को निवेशकों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है।

 

प्रमुख बिंदु

  • हाल ही में सरकार ने राज्य के स्वामित्त्व वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव किया था।
  • इस संबंध में जारी किये गए प्रस्ताव के अनुसार, सरकार हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के 33.4 मिलियन शेयर या अपनी हिस्सेदारी का 10 प्रतिशत हिस्सा बेचेगी, हालाँकि अत्यभिदान (Oversubscription) या अधिक मांग होने की स्थिति में अतिरिक्त 5 प्रतिशत हिस्सेदारी या 16.71 मिलियन शेयर बेचने का विकल्प भी दिया गया है।
  • प्रस्ताव के अनुसार, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के शेयर बेचने के लिये प्रति शेयर 1,001 रुपए न्यूनतम मूल्य निर्धारित किया गया है।

 

कारण

  • गौरतलब है कि कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी ने सरकार के राजस्व को काफी बुरी तरह से प्रभावित किया है, और सरकार को महामारी तथा उसके आर्थिक प्रभावों से निपटने के लिये आवश्यक राजस्व के विषय पर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
  • ऐसी स्थिति में राज्य के स्वामित्त्व वाली कंपनियों के विनिवेश को राजस्व एकत्रित करने के सबसे अच्छे विकल्प के रूप में देखा जा सकता है, यही कारण है कि सरकार हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के विनिवेश की प्रक्रिया को इतनी तेज़ी से पूरा कर रही है।
  • ध्यातव्य है कि सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये 2.1 लाख करोड़ रुपए का महत्त्वाकांक्षी विनिवेश लक्ष्य निर्धारित किया है।

 

पृष्ठभूमि

  • सर्वप्रथम वर्ष 2018 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने अपना आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) जारी किया था, जिसके माध्यम से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में भारत सरकार की हिस्सेदारी 100 प्रतिशत से घटकर 89.97 प्रतिशत पर पहुँच गई थी, इसके माध्यम से सरकार ने तकरीबन 4,229 करोड़ रुपए प्राप्त किये थे।

    • इस तरह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के विनिवेश की शुरुआत सर्वप्रथम वर्ष 2018 में हुई थी।
    • ध्यातव्य है कि जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर सार्वजनिक रूप से लोगों या संस्थाओं के लिये जारी करती है तो उसे आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) कहते हैं।

 

महत्त्वाकांक्षी विनिवेश लक्ष्य

  • सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) में सरकार की हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया विनिवेश कहलाती है। परंतु विनिवेश के अंतर्गत सरकार उस उपक्रम पर अपना स्वामित्व अथवा मालिकाना हक बनाए रखती है।
  • इसी वर्ष फरवरी माह में सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये 2.1 लाख करोड़ रुपए का विनिवेश लक्ष्य निर्धारित किया है, जबकि सरकार ने 31 मार्च, 2020 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के लिये 1.05 ट्रिलियन रुपए का विनिवेश लक्ष्य निर्धारित किया था।
  • इसी माह की शुरुआत में सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) के विनिवेश के लिये बोली लगाने की समय सीमा बढ़ा दी थी।
  • सरकार अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिये भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के विनिवेश की भी तैयारी कर रही है।

 

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और उसकी भूमिका

  • हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) एक राज्य के स्वामित्त्व वाली भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी है जिसका मुख्यालय भारत के बंगलूरू में स्थित है।
  • इसकी स्थापना बंगलूरू में 23 दिसंबर, 1940 को वालचंद हीराचंद ने हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड के रूप में की थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मार्च 1941 में सरकार ने कंपनी की एक-तिहाई हिस्सेदारी खरीद ली और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जनवरी 1951 में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड को रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में ले लिया गया।
  • जिसके पश्चात् अक्तूबर, 1964 में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड का नवगठित एयरोनॉटिक्स इंडिया लिमिटेड के साथ विलय कर दिया गया और इस तरह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) अस्तित्त्व में आया।
  • 50 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ वर्तमान में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) देश के लिये तमाम तरह के सैन्य हेलीकाप्टरों और विमानों का निर्माण कर रहा है।
  • इस माह की शुरुआत में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने भारतीय वायु सेना के लिये हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित किये जा रहे 106 HTT-40 बेसिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट (BTA) की खरीद को मंज़ूरी दी थी।
  • ध्यातव्य है कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने भारतीय सेना की सैन्य आवश्यकताओं को पूरा करने में काफी अहम भूमिका अदा की है, किंतु हालाँकि कई अवसरों पर उत्पादन प्रक्रिया मे देरी के कारण इसकी आलोचना की जाती रही है।

स्रोत: द हिंदू

 

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