राजस्थान की नदियां(आंतरिक प्रवाह तंत्र की नदियां)

राजस्थान सामान्य अध्ययन:नोट्स एवं अभ्यास 1000+प्रश्नोत्तर

General Studies of Rajasthan-All in One

River/Drainage System of Rajasthan Part-3

वे नदियों जिनका जल समुद्र तक नहीं पहुँच पाता है, अपने प्रवाह क्षेत्र मे ही विलुप्त हो जाती है, उन्हें आन्तरिक प्रवाह की नदियां कहते है

घग्घर नदी

उपनाम: सरस्वती, दृषद्धती, मृतनदी, नट नदी

उद्गम: शिवालिका श्रेणी कालका (हिमांचल-प्रदेश)

कुल ल. : 465 कि.मी.

कालीबंगा सभ्यता का विकास

राजस्थान की आन्तरिक प्रवाह की सर्वाधिक लम्बी नदी घग्घर नदी उद्गम हिमांचल प्रदेश में कालका के निकट शिवालिका की पहाडि़यों से होता है। यह नदी पंजाब व हरियाणा में बहकर हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी नामक स्थान पर प्रवेश करती है और भटनेर दुर्ग के पास जाकर समाप्त हो जाती है।

किन्तु कभी-2 अत्यधिक वर्षा होने की स्थिति में यह नदी गंगानगर जिले में प्रवेश करती है और सुरतगढ़ अनुपगढ़ में बहती हुई पाकिस्तान के बहावलपुर जिले(प्रवेश बिन्दू बिजौर) में प्रवेश करती है। और अन्त में फोर्ट अब्बास नामक स्थान पर समाप्त हो जाती है।

पाकिस्तान में इस नदी को “हकरा” (फारसी भाषा का शब्द) के नाम से जानी जाती है।

थार के रेगिस्तान को पाकिस्तान में बोलिस्तान कहते है। इस नदी की कुल लम्बाई 465 कि.मी. है। यह नदी प्राचीन सरस्वती नदी की धारा है। वैदीक काल में इसे द्वषवती नदी कहते है।5000 वर्ष पूर्व इस नदी के तट पर कालिबंगा सभ्यता विकसित हुई। इस नदी के कारण हनुमानगढ़ राजस्थान का धान का कटोरा कहा जाता है। स्थानिय भाषा में इसे नाली कहते है। यह राजस्थान की एकमात्र अन्तर्राष्टीय नदी है।

हरियाणा मे बनवाली सभ्यता व ओटू झील इस नदी पर स्थित है।

हनुमानगढ़(राज.)मे तलवाड़ा झील, भटनेर दुर्ग, कालीबंगा,रंगमहल,इस नदी के किनारे स्थित है।

कांतली नदी

उपनाम: कांटली

लम्बाई: 100 कि.मी

बहाव क्षेत्र: सीकर झुनझुनू

गणेश्वर सभ्यता का विकास

शेखावाटी क्षेत्र की एकमात्र नदी कांतली नदी का उद्गम सीकर जिले में खण्डेला की पहाडि़यों से होता है। यह नदी झुनझुनू जिले को दो भागों में बांटती है। सीकर जिले को इस नदी का बहाव क्षेत्र तोरावाटी कहलाता है। यह नदी 100 कि.मी. लम्बी है और झुनझुनू व चुरू जिले की सीमा पर समाप्त हो जाती है।

लगभग 5000 वर्ष पूर्व सीकर जिले मे इस नदी के तट पर गणेश्वर सभ्यता का विकास हुआ। जहां से मछ़ली पकडने के 400 कांटे प्राप्त हुए है। इससे ज्ञात होता है कि लगभग 5000 वर्ष पूर्व कांतली नदी में पर्याप्त मात्रा में पानी रहा होगा।

काकनेय नदी

बहाव क्षेत्र – जैसलमेर

कुल लम्बाई – 17 कि.मी.

आन्तरिक प्रवाह की सबसे छोटी नदी काकनेय नदी का उद्गम जैसलमेर जिले में कोटारी गांव में होता है। यह नदी उत्तर-पश्चिम में बुझ झील में जाकर समापत हो जाती है। किनतु यह मौसमी नदी अत्यधिक वर्षा मे मीडा खाड़ी में अपना जल गिराती है। स्थानीय लोग इसे मसूरदी कहते है।

साबी नदी

राजस्थान में आन्तरिक प्रवाह नदी साबी का उद्गम जयपुर जिले में सेवर की पहाडि़यों से होता है। यह नदी उतर-पूर्व की ओर बहकर अलवर जिले में बहती है और हरियाणा के गुड़गांव जिले नजफरगढ़ के समीप पटौती में जाकर समाप्त होती है। यह नदी अलवर जिले की सबसे लम्बी नदी है। मानसुन काल में इस नदी का पाट अत्यधिक चैड़ा हो जाता है।यह अपनी विनाश लीला के लिए प्रसिद्ध थी। अकबर ने इस पर कई बार पुल बनाने का प्रयास किया लेकिन असफल रहा।

रूपारेल नदी (वाराह/लसवारी): यह नदी अलवर जिले के थानागाजी से निकलती, भरतपुर में समाप्त हो जाती है।रूपारेला नदी भरतपुर की जीवन रेखा है।

मैन्था नदी (मेंढा): यह नदी जयपुर के मनोहरथाना से निकलती है सांभर के उत्तर में विलन हो जाती है।

रूपनगढ़ नदी: यह सलेमाबाद(अजमेर) से निकलती है और सांभर के दक्षिण में विलन हो जाती है। इस नदी के किनारे निम्बार्क सम्प्रदाय की पीठ है।

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