डेली करेंट अफेयर्स – 03 सितंबर 2020

प्रश्न काल, प्राइवेट मेंबर बिल और शून्यकाल

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में संसद के दोनों सदनों के आगामी मानसून सत्र की बैठकों के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है।

परिचय

  • कोविड-19 महामारी के दौरान संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के आगामी मानसून सत्र की बैठकों की विस्तृत अधिसूचना जारी की गयी है।
  • आगामी संसद सत्र की कार्यवाही में प्रश्न काल, प्राइवेट मेंबर बिल और शून्यकाल को शामिल नहीं किया जाएगा।
  • सरकार के प्रश्नकाल व शून्यकाल के स्थगित करने के फैसले पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है। विपक्षी दलों का कहना है कि इससे लोकतान्त्रिक भावना कमजोर होगी।
  • सरकार का कहना है कि इस बार कोविड-19 महामारी की प्रतिकूल परिस्थितियों की वजह से आगामी मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल व शून्यकाल नहीं होंगे। इसी प्रकार लोकसभा सचिवालय की जारी अधिसूचना में बताया गया है कि स्पीकर के निर्देशानुसार सत्र के दौरान प्राइवेट मेंबर बिल के लिए कोई दिन निर्धारित नहीं किया गया है। इसी तरह का प्रावधान राज्यसभा सचिवालय की अधिसूचना में भी किया गया है।

क्या होता है प्रश्नकाल?

  • भारतीय संसद के दोनों सदनों यानि लोक सभा और राज्य सभा में लोकहित से जुड़े मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने और उस पर जवाब मांगने के लिए, प्रश्नकाल की व्यवस्था की गई है।
  • प्रश्नकाल के दौरान कोई भी सदस्य सरकार से जनहित के किसी भी मुद्दे पर मौखिक या लिखित जवाब मांग सकता है।
  • प्रश्न पूछने का मूल उद्देश्य लोक महत्व के मामले में जानकारी प्राप्त करना होता है। इस स्थिति में प्रश्नकाल का महत्व काफी बढ़ जाता है।
  • संसद के दोनों सदनों में संसदीय कार्य दिवस का पहला घंटा (11 से 12 बजे तक का समय) ‘प्रश्नकाल’ के रूप में जाना जाता है। इस अवधि के दौरान संसद सदस्यों द्वारा मंत्रियों से प्रश्न पूछे जाते हैं।
  • प्रश्नकाल के दौरान संसद सदस्यों द्वारा मंत्रियों से पूछे गए प्रश्न प्रश्‍न चार प्रकार के होते हैं: –तारांकित, अतारांकित, अल्प सूचना प्रश्‍न और गैर सरकारी सदस्‍यों से पूछे गए प्रश्‍न
  1. तारांकित प्रश्‍न : वह होता है जिसका सदस्य सभा में मौखिक उत्तर चाहता है और पहचान के लिए उस पर तारांक बना रहता है। जब प्रश्‍न का उत्तर मौखिक होता है तो उस पर अनुपूरक प्रश्‍न पूछे जा सकते हैं। मौखिक उत्तर के लिए एक दिन में केवल 20 प्रश्‍नों को सूचीबद्ध किया जा सकता है।
  2. अतारांकित प्रश्‍न: वह होता है जिसका सभा में मौखिक उत्तर नहीं मांगा जाता है और जिस पर कोई अनुपूरक प्रश्‍न नहीं पूछा जा सकता। ऐसे प्रश्‍न का लिखित उत्तर प्रश्‍न काल के बाद जिस मंत्री से वह प्रश्‍न पूछा जाता है, उसके द्वारा सभा पटल पर रखा गया मान लिया जाता है। इसे सभा की उस दिन के अधिकृत कार्यवाही वृत्तान्त (ऑफिशियल रिपोर्ट) में छापा जाता है। लिखित उत्तर के लिए एक दिन में केवल 230 प्रश्‍नों को सूचीबद्ध किया जा सकता है।
  3. अल्प सूचना प्रश्‍न : वह होता है जो अविलम्बनीय लोक महत्व से संबंधित होता है और जिसे एक सामान्य प्रश्‍न हेतु विनिर्दिष्ट सूचनावधि से कम अवधि के भीतर पूछा जा सकता है। एक तारांकित प्रश्‍न की तरह, इसका भी मौखिक उत्तर दिया जाता है जिसके बाद अनुपूरक प्रश्‍न पूछे जा सकते हैं।
  4. गैर सरकारी सदस्‍य हेतु प्रश्‍न स्‍वयं सदस्‍य से ही पूछा जाता है और यह उस स्‍थिति में पूछा जाता है जब इसका विषय सभा के कार्य से संबंधित किसी विधेयक, संकल्‍प या ऐसे अन्‍य मामले से संबंधित हो जिसके लिए वह सदस्‍य उत्तरदायी हो। ऐसे प्रश्‍नों हेतु ऐसे परिवर्तनों सहित, जैसा कि अध्‍यक्ष आवश्‍यक या सुविधाजनक समझे जाएं, वही प्रक्रिया अपनायी जाती है जो कि किसी मंत्री से पूछे जाने वाले प्रश्‍न के लिए अपनायी जाती है।

क्या होता है शून्‍यकाल?

  • भारतीय संसद के दोनों सदनों में प्रश्नकाल के बाद का समय शून्यकाल होता है, इसका समय 12 बजे से लेकर 1 बजे तक होता है।
  • दोपहर 12 बजे आरंभ होने के कारण इसे शून्यकाल कहा जाता है। शून्यकाल को जीरो आवर( zero hour) के नाम से भी जाना जाता है।
  • शून्यकाल का आरंभ 1960 व के दशकों में हुआ जब बिना पूर्व सूचना के अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय उठाने की प्रथा विकसित हुई। शून्यकाल के समय उठाने वाले प्रश्नों पर सदस्य तुरंत कार्रवाई चाहते हैं। क्या होता है प्राइवेट मेंबर बिल?
  • गैर सरकारी विधेयक (Private Member Bill) को निजी विधेयक के नाम से भी जाना जाता है।
  • गैर सरकारी विधेयक को मंत्रिपरिषद के सदस्य के अलावा सदन के किसी भी सदस्य द्वारा संसद के किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • जिस तरह लोकसभा या राज्यसभा में संबंधित विभागों की तरफ से मंत्रियों द्वारा बिल पास करवाए जाते हैं वैसा ही अधिकार हर सांसद को भी है। सांसद अपनी तरफ से सदन शुरू होने के बाद आने प्राइवेट बिल सदन में रख सकते हैं।
  • गैर सरकारी विधेयक को सदन में पेश करने के लिये 1 माह पूर्व नोटिस देना आवश्यक है।
  • यह अधिकार राज्यों के विधानसभा/ विधानपरिषद में विधायकों को भी हासिल है।
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